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Hindi News NCRदुर्गेश पाठक को HC से झटका, निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने से HC का इनकार

दुर्गेश पाठक को HC से झटका, निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने से HC का इनकार

इस याचिका में दुर्गेश पाठक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें राजेन्द्र नगर विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने का विरोध किया गया था। दुर्गेश पाठक ने इस सीट से अपने विरोधी को चुनाव में हराया थ।

दुर्गेश पाठक को HC से झटका, निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने से HC का इनकार
Nishant Nandanपीटीआई,नई दिल्लीTue, 09 Jul 2024 09:08 PM
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आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक दुर्गेश पाठक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज करने से इनकार कर दिया है जिस याचिका में आप विधायक दुर्गेश पाठक को साल 2022 में विधायक चुने जाने का विरोध किया गया था। इस याचिका में दुर्गेश पाठक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें राजेन्द्र नगर विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने का विरोध किया गया था। दुर्गेश पाठक ने उस विधानसभा चुनाव में हमने प्रतिद्वंदी को 11,468 वोटों से हराया था। जस्टिस यशवंत वर्मा ने 103 पन्नों के अपने आदेश में सोमवार को दुर्गेश पाठक की याचिका को कारिज कर दिया इस स्टेज पर ऐसा करना न्याय के मुताबिक उचित नहीं है। अदालत अब इस मामले में 22 जुलाई को सुनवाई करेगी। 

याचिकाकर्ता राजन तिवारी का दावा है कि वो राजेंद्र नगर विधानसभा सीट के वोटर हैं। उन्होंने इस ग्राउंड पर दुर्गेश पाठक के निर्वाचन को चुनौती दी है कि आप विधायक ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई है। इसके अलावा उनका यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने नॉमिनेशन फॉर्म में वित्तीय वर्ष 2019-2020 में आयकर रिटर्न की जानकारी छिपाई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पाठक ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत भ्रष्टाचार में लिप्त होने के अलावा जानबूझ कर अहम तथ्यों को छिपाए। 

आम आदमी पार्टी के नेता ने इस याचिका को खारिज करे का अनुरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि इस याचिका में कार्रवाई के कारण के बारे में हीं बताया गया है। दुर्गेश पाठक के वकील ने दलील देते हुए कहा कि दुर्गेश पाठक का नाम एफआईआर में नहीं है। 

पाठक के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल का नाम प्राथमिकी में नामजद नहीं था और कानून के प्रासंगिक प्रावधान के मुताबिक उम्मीदवार केवल ऐसे आपराधिक मामलों का विवरण देने के लिए बाध्य है जिनमें या तो अदालत द्वारा आरोप तय किए गए हों या जिनमें संज्ञान लिया गया हो।