बजट 2024

Budget 2024 : केंद्र में नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट की लगातार तीसरी बार वापसी के बाद अब हर किसी की निगाहें देश के आम बजट पर हैं। इस नई सरकार में एक बार फिर फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण जुलाई में बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अंतरिम बजट सहित छह बजट पेश किए हैं और जुलाई में लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। उम्मीद है कि वित्त मंत्री अपने आगामी बजट प्रस्ताव में सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण और प्रमुख नीतिगत रुझानों की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगी। इसके अतिरिक्त निर्मला सीतारमण बजट 2024 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के उपायों को लागू करके बेरोजगारी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। बता दें कि बीते 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट रखा था। अंतरिम बजट में नई सरकार के कार्यभार संभालने तक सरकार को अपना कामकाज चलाने के लिए खजाने से पैसे खर्च करने की मंजूरी भर ली जाती है।

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बजट 2024 FAQs

  • आम बजट क्या है?

    आम बजट (यूनियन बजट) एक सालाना फाइनेंशियल स्टेटमेंट है। आम बजट में आने वाले वित्त वर्ष के लिए सरकार के प्रस्तावित खर्चों और राजस्व का पूरा लेखा-जोखा रहता है। साल 2021 से बजट पेपरलेस है, यानी इसे टैबलेट से पढ़ा जाता है। कोविड-19 के कारण इस प्रोसेस को अपनाया गया था। आम बजट को एक कॉम्प्रिहेंसिव डॉक्यूमेंट भी कह सकते हैं, जिसमें अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक और वित्तीय नीतियों का पूरा ब्योरा होता है।

  • किसने पेश किया स्वतंत्र भारत का पहला बजट?

    स्वतंत्र भारत का पहला बजट पहले फाइनेंस मिनिस्टर के शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। उन्होंने 26 नवंबर 1947 को बजट पेश किया। देश का पहला बजट, अंतरिम बजट था। आर के शनमुखम चेट्टी ने साल 1947 से 1949 तक स्वतंत्र भारत के पहले फाइनेंस मिनिस्टर के रूप में काम किया। देश के पहले बजट में टारगेटेड बजट रेवेन्यू 171.15 करोड़ रुपये का था। वहीं, अनुमानित टोटल एक्सपेंडिचर 197.29 करोड़ रुपये का था।

  • बजट बनाने वाली टीम में कौन-कौन रहता है?

    आम या अंतरिम बजट पेश किए जाने से कई दिन पहले इसे बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया में अलग-अलग स्तर के ऑफिसर्स शामिल होते हैं। वैसे तो बजट बनाने के प्रोसेस में सरकार के हर मंत्रालय से बातचीत की जाती है लेकिन मुख्य तौर पर वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा आर्थिक मामलों के सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के अधिकारी भी शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारियों की भी भूमिका होती है। ये सभी अधिकारी वित्त मंत्री को खर्च और कमाई का अनुमानित ब्यौरा देते हैं। इसके अलावा, वित्त मंत्री की बजट के जरिए नीति या फैसले लेने में मदद करते हैं। अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट भी बजट टीम में काम करते हैं। टीम को समय-समय पर प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन मिलता रहता है। कई बार प्रधानमंत्री या किसी मंत्रालय या फिर संगठनों के सुझाव पर बजट में बदलाव भी किए जाते हैं।

  • हलवा सेरेमनी क्या है?

    हर साल बजट पेश होने से कुछ दिन पहले पारंपरिक 'हलवा सेरेमनी' का आयोजन होता है। दरअसल, भारत में किसी भी शुभ काम करने से पहले मुंह मीठा कराने की परंपरा है। इसी परंपरा के तहत बजट पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। यह बजट सत्र के ��योजनों की आधिकारिक शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन कड़ाही में हलवा बनता है और बाद में वित्त मंत्री इसे निकालकर बजट की तैयारी में शामिल सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों को बांटते हैं। यह सेरेमनी अधिकारियों को बाहरी दुनिया से अलग रखने के लिए भी किया जाता है। इसका मकसद बजट के फैसले या नीतियों की गोपनीयता को बनाए रख���ा होता है। वित्त मंत्री के लोकसभा में अपना बजट भाषण पूरा करने के बाद ही इन अधिकारियों को बाहर निकलने की अनुमति होती है। बता दें कि यह परंपरा दशकों से चली आ रही है। यह कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में होता है, जहां एक विशेष प्रिंटिंग प्रेस भी स्थित है।

  • फिस्कल डेफिसिट और बजट एस्टिमेट्स क्या है?

    राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) तब होता है, जब सरकार के टोटल एक्सपेंडिचर्स उसके रेवेन्यू से कहीं ज्यादा हो जाते हैं। अगले वित्त वर्ष के लिए किसी मिनिस्ट्री या स्कीम के लिए बजट में आवंटित पैसे को बजट एस्टिमेट्स कहते हैं।

  • सबसे लंबा बजट भाषण

    सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड मौजूदा फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के नाम है। 1 फरवरी 2020 को वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट पेश करते समय उन्होंने 2 घंटे और 42 मिनट का भाषण दिया। इससे पहले का रिकॉर्ड भी निर्मला सीतारमण के नाम था। जुलाई 2019 में सीतारमण ने 2 घंटे 17 मिनट का बजट भाषण दिया था।

  • सबसे ज्यादा शब्दों वाला बजट भाषण

    सबसे ज्यादा शब्दों वाले बजट भाषण का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम है। बतौर फाइनेंस मिनिस्टर अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने साल 1991 में 18650 शब्दों का भाषण दिया। मोदी गवर्नमेंट में फाइनेंस मिनिस्टर रहे अरुण जेटली दूसरे नंबर पर रहे। उनके बजट स्पीच में 18604 शब्द थे और उन्होंने 1 घंटे 49 मिनट का बजट भाषण दिया। सबसे कम शब्द पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर एच एम पटेल के बजट भाषण में थे। 1977 में दिए गए उनके बजट भाषण में सिर्फ 800 शब्द थे।

  • पहले शाम को पेश होता था बजट

    साल 1999 से पहले आम बजट फरवरी के आखिरी कामकाजी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था। पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर यशवंत सिन्हा ने 1999 में यह ट्रेंड बदला और सुबह 11 बजे बजट पेश करना शुरू किया। साल 2017 में अरुण जेटली ने 1 फरवरी को आम बजट पेश करना शुरू किया। 2017 तक रेल और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। साल 2017 में रेल बजट को आम बजट में मर्ज्ड कर दिया गया और दोनों को एक साथ पेश किया गया।

  • क्या है ब्लैक बजट

    1973-74 में इंदिरा गांधी गवर्नमेंट में यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा पेश किए गए बजट को ब्लैक बजट कहा जाता है, क्योंकि उस समय फिस्कल डेफिसिट 550 करोड़ रुपये था। यह वह समय था,जब भारत गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा था। कांग्रेस गवर्नमेंट के लिए वीपी सिंह की तरफ 28 फरवरी 1986 में पेश किए गए बजट को 'कैरट एंड स्टिक' बजट गया था।