VPF: बढ़ाना चाहते हैं रिटारमेंट फंड तो नौकरी के दौरान करना होगा वीपीएफ में निवेश, फुल डिटेल
अगर आप रिटायरमेंट फंड बढ़ाना चाहते हैं तो नौकरी के दौरान वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड विकल्प में भी निवेश कर सकते हैं. इस पर रिटर्न ईपीएफ खाते में जमा के समान मिलता है. इसके लिए प्रक्रिया क्या अपनानी होगी यहां डिटेल चेक कर सकते हैं.
सैलरी पाने वाले लोग वीपीएफ में निवेश कर रिटायरमेंट फंड में बढ़ा सकते हैं. (Representational image/FE)
करियर के शुरूआती दौर में ज्यादातर लोगों की सैलरी कम होती है. खासकर उन लोगों की जो किसी संगठित क्षेत्र से जुड़ते हैं. नौकरी के दौरान हर महीने सैलरी का कुछ हिस्सा पीएफ के नाम पर कट जाती है और यह फंड संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देती है. कर्मचारियों के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने पीएफ फंड के नाम पर कटती है और ईपीएफ खाते में जमा की जाती है. इतनी ही रकम कंपनी की ओर से इस खाते में डाली जाती है.
नौकरी के दौरान ईपीएफ खाते में जमा हुई यह रकम रिटायरमेंट के बाद बड़ी कॉर्पस के रूप कर्मचारियों को मिलती है. जिससे वे अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. जो लोग इससे और अधिक रिटायरमेंट कॉर्पस चाहते हैं उनके लिए ईपीएफओ ने वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड यानी वीपीएफ का विकल्प भी दिया है. हालांकि यह ईपीएफ का ही दूसरा रूप है. यानी बिना ईपीएफ खाते के वीपीएफ संभव नहीं है. वीपीएफ क्या है? यह ईपीएफ से कितना अलग है? ऐसे तमाम पहलुओं पर एक नजर डालते हैं.
क्या है वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड?
वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड कर्मचारियों द्वारा किया गया योगदान है जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा निर्धारित न्यूनतम योगदान से अधिक है. हालांकि कंपनी की ओर से अब भी कर्मचारी के बैसिक सैलरी के 12 फीसदी हिस्से के बराबर रकम ही वीपीएफ फंड में डाली जाती है. वीपीएफ खाते में योगदान के लिए अपनी सैलरी का का कितनी भी हिस्सा कर्मचारी तय कर दें लेकिन कंपनी 12 फीसदी से अधिक का योगदान नहीं करती. संगठित क्षेत्र में कार करने वाले कई कर्मचारी वीपीएफ का विकल्प चुनते हैं क्योंकि उन्हें कोई अन्य निवेश नहीं करना पड़ता है और यह आसान है क्योंकि रकम सीधे उनके सैलरी से काट ली जाती है.
वीपीएफ में जमा पर भी वही रिटर्न मिलता है जो ईपीएफ खाते में कर्मचारी और कंपनी के योगदान पर मिलता है. यही कारण है कि वीपीएफ को निवेश के लिए एक बहुत ही आकर्षक विकल्प माना जाता है. वीपीएफ में जमा पर फिलहाल 8.25 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है सरकार ईपीएफ की दी जाने वाली ब्याज दर को समय-समय पर अपडेट करती रहती है.
क्या है लॉक इन पीरियड और कितना लगेगा टैक्स?
वीपीएफ का लॉक इन पीरियड 5 साल का है. 5 साल की नौकरी पूरी होने के बाद वीपीएफ में की किए गए जमा के ��िकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता है. हालांकि इससे पहले VPF निकालने पर, आपको उस पर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. अगर कोई नौकरी पेशेवर शख्स दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार है या जब वह रिटायर हो जाता है, तो वह अपने वीपीएफ योगदान से निकासी कर सकता है.
वीपीएफ में आपको आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इस फंड में आप एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट के लिए दावा कर सकते हैं. वीपीएफ में जमा पर मिले ब्याज और निकासी की रकम टैक्स फ्री होती है. यह वजह है कि इसमें निवेश ईईई (EEE) कैटेगरी का माना जाता है.
सैलरी का कितना हिस्सा ��र सकते हैं वीपीएफ में निवेश?
वीपीएफ में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक योगदान भी कर सकता है. इसके लिए कोई लिमिट नही है.
ईपीएफ
वीपीएफ
योग्यता
कोई भी भारतीय
कोई भी नौकरी पेशेवर शख्स
टेन्योर
न्यूनतम तक 15 साल
रिटायरमेंट तक
ब्याज पर टैक्स
ब्याज पर टैक्स नहीं देना पड़ता है
टैक्स फ्री (ब्याज और निकासी)
टैक्स डिडक्शन
धारा 80C के तहत लाभ मिलता है
धारा 80C के तहत लाभ मिलता है
मैच्योरिटी
इसे अनिश्चित काल तक 5 साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है
रिटायरमेंट तक नई कंपनी में रकम ट्रांसफर कर सकते हैं
ऐसे शुरू कर सकते हैं वीपीएफ
वीपीएफ योगदान करना बहुत आसान है. आपको बस अपने अपने कंपनी के एचआर (HR) को सूचित करना है कि आप अपना ईपीएफ योगदान बढ़ाने के इच्छुक हैं. इसके बाद कंपनी आपके सैलरी से वह रकम काट लेगी जिसे आप वीपीएफ के रूप में निवेश करना चाहते हैं. यही कारण है कि वीपीएफ एक बेहतर टैक्स सेविंग विकल्प है क्योंकि इस पर बेहतर रिटर्न मिल जाता है और सीधे कर्मचारियों के सैलरी से वीपीएफ योगदान कट भी जाता है. वीपीएफ में भी आपका पैसा बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि ईपीएफओ इस रकम को लौटाने की गारंटी देता है.
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी जब अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़कर नई कंपनी ज्वॉइन करते हैं तो वे अपने ईपीएफ खाते को ट्रांसफर भी करा सकते हैं. इसके लिए ईपीएफओ की ओर से विकल्प दिया गया है. ईपीएफ की तरह से वीपीएफ अकाउंट को भी ट्रांसफर किया जा सकता है. हालांकि नई कंपनी में जाने के बाद फिर से कर्मचारी को कंपनी के एचआर को बताना होगा कि आप वीपीएफ में निवेश करना चाहते हैं. एक बार VPF विकल्प चुन लेने के बाद कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक उसमें पैसा जमा करना जरू��ी होता है.