Auto Driver father sold his Kidney for children: मां की सराहना पूरी दुनिया करती है। मां हमें जन्म देती है, हमें पालती है, हमारी तकलीफें, दुख, दर्द सब अपने अंदर समेट लेती है। मां की महानता के गुणगान होने भी चाहिए मगर इन सब में पिता को भूल जाना बेईमानी होगी। जब बच्चे पर आंच आती है पिता की आत्मा भी रोती है मगर उनके आंसुओं को जमाना देख नहीं पाता। पिता ढाल बनकर बच्चों के सामने दीवार की तरह खड़े रहते हैं। आज कोई फादर्स डे नहीं है मगर हम पिता की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एक शख्स ने अपने बच्चों के खातिर अपनी किडनी ही बेच दी।

यह पिता अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देना चाहता था मगर तकदीर के आगे मजबूर है। ऐसा नहीं है कि वह मेहनती नहीं है, वह काम करता है। ऑटो चलाता है, बच्चों की फीस भरता है। वह चाहता है कि उसके बच्चे भी पढ़कर ऑफिसर बनें ताकि उनकी जिंदगी बेहतर हो सके। इस चाह में उसने वह कर दिया जो उसे नहीं करना चाहिए था।

पिता का होना किसी खजाने से कम नहीं

वो कहते हैं ना कि पिता का होना किसी खजाने से कम नहीं है। काश यह बात इस पिता को समझ आई होती तो आज वह इस दलदल में नहीं फंसता। आंध्र प्रदेश के इस शख्स का नाम मधुबाबू गरलापति है। वह मात्र 31 साल का है। वह परिवार के पोषण के लिए ऑटो चलाता है। मधुबाबू ने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑनलाइन ऐप से लोन लिया था। देखते ही देखते लोन का ब्याज बढ़ता गया औऱ वह कर्ज में डूबता चला गया। एक दिन उसने फेसबुक पर एक विज्ञापन (ऐड) देखा जिस पर किडनी दान करने के बदले 30 लाख रुपये देने का वादा किया गया था। उस ऐड को देखकर मधुबाबू को लगा कि अगर वह अपनी किडनी बेच दे तो उसके परिवार की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी। उनके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ेंगे और उनका भविष्य बेहतर हो जाएगा।

दाव पर लगा दी जिंदगी मगर…

इसके बाद मधुबाबू को विजयवाड़ा के बाशा नाम के एजेंट से मिलवाया गया। एजेंट ने मधुबाबू से कहा कि किडनी दान के बाद सीधा रकम उनके खाते में आ जाएगी। इसके बाद विजयवाड़ा की एक महिला मधुबाबू के पास पहुंची और उसने अपना एक्सपीरियंस बताया और कहा कि किडनी देने के बाद उसे पैसे तुरंत मिल गए थे। इसके बाद विजया सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मधुबाबू का ऑपरेशन किया गया और उनकी किडनी निकाल ली गई। ��धुबाबू ने यह दावा किया है कि उनसे कहा गया कि एक मरीज को फौरन किडनी की जरूरत है। सर्जरी से पहले उन्हें मरीज के परिवार से भी मिलवाया गया। परिवार ने मधुबाबू को किराया-भाढ़ा भी दिया। मधुबाबू से कहा गया कि जल्द ही उन्हें पूरे पैसे मिल जाएंगे। इसके बाद मधुबाबू के साथ धोखा हुआ उन्हें किडनी के बदले सिर्फ 50 हजार रूपये दिए गए।

एक पिता के साथ अंगदान के बदले पैसे दिए जाने के नाम पर धोखा किया गया। एक पिता अपनी एक किडनी बेचने के बाद भी परेशान है। उसकी परेशानियां जस की तस बनी हुईं हैं। उसने अपनी आपबीती स्थानीय अधिकारियों को सुनाई हैं। पीड़ित पिता का कहना है कि आरोपियों ने मेरी जिंदगी की परेशानियों का फायदा उठाया। उन्हें यह मुझे यकीन दिलाया कि मैं किसी परिवार की मदद कर रहा हूं औऱ बदले में मेरी तकलीफें भी दूर हो जाएंगी। पिता ने कहा कि मैं अपने बच्चों के खातिर किडनी बेचने के लिए तैयार हो गया। मैं इससे अपना कर्ज चुका लूंगा और बच्चों की जिंदगी संवर जाएगी।

मामले में जांच से पता चला है कि मधुबाबू और किडनी लेने वाले परिवार के बीच फर्जी संबंध स्थापित करने के लिए दस्तावेज तैयार किए गए थे। इतना ही नहीं ऑपरेशन में मधुबाबू की बाईं किडनी के बजाय दाहिनी किडनी ले ली गई। कथित तौर पर डॉ शरथ बाबू अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अवैध अंग व्यापार नेटवर्क चलाता है।

अब क्या करेगा यह पिता

आरोपों पर विजया सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने सर्जरी करने पर कानूनी दस्तावेज का हवाला देते हुए अपना बचाव किया। अस्पताल की तरफ से एक प्रवक्ता ने कहा, “अस्पताल ने कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। हमारे डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी आरोप निराधार हैं।” अब सब कानून का हवाला दे रहे हैं, हो सकता है कि ये बड़े लोग बच जाएं मगर एक गरीब पिता अब कहां जाएगा क्या करेगा, उसके पास अब उसकी किडनी भी नहीं है। अब उसके बच्चों के भविष्य का क्या होगा?

सोशल मीडिया पर यह घटना वायरल हो रही है, लोगों का गुस्सा फूट रहा है। आप बताइए इस खबर पर अब आपकी क्या राय है। एक पिता की मजबूरी किस हद तक जा सकती है, इस घटना से जाहिर है। जो इस पिता के साथ हुआ, जानकर लगता है कि कोई फिल्मी सीन है। हालांकि जो वह इस वक्त वह महसूस कर रहा होगा, खुद को हारा हुआ, बच्चों को अच्छा लाइफ ना दे पाने का डर वह शायद मौत से भी डरावना है।