UP News: उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पुलिस ने एक ऑनलाइन मीडिया आउटलेट के खिलाफ धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया है। आरोप है कि चैनल ने कथित तौर पर शामिली जिले में मॉब लिंचिंग की घटना का दावा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक्स पर दुर्भावनापूर्ण पोस्ट किए थे।

पुलिस ने इस केस में आरोप लगाया है कि धार्मिक विद्वेष / साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की नीयत से सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब चैनल पर अज्ञात पत्रकार के नाम वीडियो जारी करने को लेकर केस दर्ज किया है। आरोप है कि पत्रकार ने फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर मुस्लिम व्यक्ति भीड़ द्वारा हत्या करने का आरोप लगाकर शांति और सौहार्द भंग करने की कोशिश की है।

बिहार के यू-ट्यूब चैनल पर केस

बता दें कि हिंदुस्तानी मीडिया बिहार-ब्रॉड मीडिया आउटलेट है जिसे पत्रकार सदफ कामरान चलाती हैं। उत्तर प्रदेस की शामली पुलिस ने दावा किया कि यूट्यूब चैनल ने भीड़ द्वारा हत्या के दावे को खारिज करने के बाद भी “झूठी” जानकारी चलाना जारी रखा जिससे समाज में नफरत फैल सकती है।

इस मामले में यू-ट्यूब चैनल पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 353 (2) [फर्जी सूचना फैलाने] के तहत केस दर्ज कर लिया है।

दिल्ली के दो पत्रकारों के खिलाफ भी दर्ज किया था केस

गौरतलब है कि इससे पहले पुलिस ने 4 जुलाई की घटना के बारे में एक्स पर “गलत सूचना” पोस्ट करने के लिए दिल्ली-बीआरडी के दो पत्रकारों और तीन अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। पत्रकारों की पहचान जाकिर अली त्यागी और वसीम अकरम त्यागी और अन्य की पहचान आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान के रूप में हुई है।

पुलिस ने कहा है कि 4 जुलाई की घटना में कोई मॉब लिंचिंग नहीं हुई थी। पुलिस का कहना है कि फिरोज कुरैशी नाम के एक व्यक्ति की उसके घर पर मौत हो गई थी। पहले यह भी बताया गया था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि मौत का कारण मारपीट नहीं था। मृतक नशे की हालत में आरोपी के घर में घुसा था। इस घटना को जानबूझकर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर मॉब लिंचिंग के रूप में पोस्ट किया गया है।