सूरत जिला अदालत ने सोमवार को 63 वर्षीय बांग्लादेशी महिला को भारतीय नागरिकता का दावा करने के लिए जाली दस्तावेजों के साथ फर्जी आधार कार्ड बनवाने के आरोप में 14 महीने जेल की सजा सुनाई। दोषी मल्लिका साकिन सरदार सलाबतपुरा के मंदरवाजा टेनेमेंट की निवासी है। वह बांग्लादेश के गोपालगंज जिले की रहने वाली है और 2020 से सूरत में रह रही है।

महिला ने बनवाया था फर्जी आधार कार्ड

पिछले मार्च में महिला को अठवालाइन्स पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिसने उसके पास से 28 सितंबर, 2022 को 10 साल के लिए जारी किया गया बांग्लादेशी पासपोर्ट, आधार कार्ड और कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र समेत अन्य सामान बरामद किया था। पुलिस को 30 अक्टूबर 2022 से 19 अक्टूबर 2023 तक वैध बांग्लादेशी वीजा भी मिला।

महिला पर भारतीय दंड संहिता की धारा 465 (जालसाजी), 470 (जाली दस्तावेज), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 467 (सुरक्षा के लिए जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। महिला जो अकेले रहती थी, वह वर्तमान में सूरत सेंट्रल जेल में बंद है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विजयकुमार बरोट की अदालत के समक्ष अपनी दलीलों में सरकारी वकील पवन शाह ने कहा कि महिला ने भारतीय नागरिकता लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों के साथ आधार कार्ड बनवाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले अप्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “यदि आरोपियों के साथ नरमी बरती जाती है, तो इससे अन्य लोग अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और जाली दस्तावेजों के साथ भारतीय नागरिकता के दस्तावेज बनाने के लिए प्रेरित होंगे।

महिला को 14 महीने की जेल

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि महिला को आईपीसी की धारा 465 के तहत सात महीने और आईपीसी की धारा 471 के तहत सात महीने की सजा सुनाई जा रही है। इसमें कहा गया है कि 14 महीने के बाद उसे बांग्लादेश भेज दिया जाना चाहिए और इस संबंध में एक रिपोर्ट अदालत को सौंपी जानी चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पवन शाह ने कहा, “हम आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। एक बार जब हम अदालत के आदेश को विस्तार से पढ़ लेंगे, तो हम अपनी आगे की कार्रवाई तय करेंगे।”