ओडिशा में लंबे अरसे तक मुख्‍यमंत्री रहे नवीन पटनायक अब खुद को व‍िपक्षी की भूमि‍का के ल‍िए पूरी तरह तैयार कर रहे हैं। राज्‍य में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के साथ ही बीजेपी की सरकार बन चुकी है। लंबे समय तक सत्ता में रही नवीन पटनायक की पार्टी बीजद को अब विधानसभा में विपक्ष में बैठना पड़ रहा है। कभी बीजेपी के दोस्तों में गिने जाने वाले नवीन पटनायक अब विधानसभा में बीजेपी सरकार की कमियां उजागर करेंगे। बीजू जनता दल ने साफ क‍िया है क‍ि अब वह राज्‍यसभा में भाजपा/एनडीए का साथ नहीं देगी।

पार्टी प्रमुख नवीन पटनायक ने हाल ही में बीजद के सभी राज्य-स्तरीय पदाधिकारियों को हटा दिया है और पहली बार एक पॉलिटिकल सेक्रेटरी रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा जारी आदेश में कहा गया, “नए पदाधिकारी जल्द ही नियुक्त किए जाएंगे।”

राजनीतिक सचिव के लिए भी पटनायक ने एक पूर्व कॉर्पोरेट एग्जीक्यूटिव संतरूप मिश्रा को चुना, जो चुनाव से पहले बीजद में शामिल हुए थे और हार गए थे। ऐसा माना जाता है कि पार्टी में उन्हें शामिल करने के लिए वी.के पांडियन ने ज़ोर दिया । साथ ही उन्हें चुने जाने के पीछे एक संकेत यह भी है कि वह अपने पूर्व विश्वासपात्र का ज्यादा बचाव नहीं करेंगे।

बीजेडी ने किया प्रवक्ता और मीडिया पैनल का पुनर्गठन

पार्टी ने चुनाव में हार के कारणों का विश्लेषण करने पर पाया कि खराब मीडिया प्रबंधन और सुस्त राजनीतिक कदम इसके पीछे एक बड़ी वजह थे। जिसके बाद बीजद ने अनुभवी नेताओं को शामिल करते हुए अपने प्रवक्ता और मीडिया पैनल का भी पुनर्गठन किया है।

नतीजों के बाद यह अनुमान लगाया गया था कि नवीन पटनायक, जिनका पूरा राजनीतिक जीवन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बीता था अब विपक्ष में होने के कारण बैकसीट ले सकते हैं। हालाँकि, पटनायक तुरंत सक्रिय भूमिका में आ गए। उन्होंने अपने करीबी वीके पांडियन के एक्टिव पॉलिटिक्‍स से संन्‍यास लेने के फैसले को स्वीकार किया और पार्टी नेताओं के साथ बैठकें फिर से शुरू कीं। इसके साथ ही अब वह विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे हैं।

भाजपा के खिलाफ बीजेडी

केंद्र में भी बीजेडी भाजपा के साथ अपनी दोस्ती को भुलाकर हाल के सत्र में विपक्ष के साथ वॉकआउट में शामिल होकर, पार्टी के विरोध में खड़ी दिख रही है। पांडियन के अलावा, पार्टी की चुनावी हार के लिए दोषी ठहराए गए और उनके करीबी माने जाने वाले अन्य बीजद नेताओं में संगठनात्मक सचिव प्रणब प्रकाश दास, जिन्हें बॉबी दास के नाम से भी जाना जाता है और महासचिव (मीडिया मामले) और राज्यसभा सदस्य मानस मंगराज भी शामिल हैं।

हाल ही में कटक-चौद्वार के पूर्व विधायक प्रभात बिस्वाल ने पांडियन और बॉबी द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाया था। मंगराज की जगह मीडिया-हैंडलिंग की ज़िम्मेदारी पूर्व मंत्री प्रताप जेना के हाथों खो दी है।

कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए पटनायक को एक्टिव रहने की जरूरत

पार्टी नेताओं ने स्वीकार किया कि निराश कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए भी पटनायक को भी हार के बाद एक्टिव रहने की जरूरत है। सत्ता खोने के बावजूद, पार्टी ओडिशा में वोट शेयर के मामले में अभी भी नंबर 1 है, जिसे बीजेपी के 40.07% के मुकाबले 40.22% वोट मिले हैं। बीजेडी के पास धन संसाधन की भी कमी नहीं है, पोल बॉन्ड डेटा के मुताबिक इसकी रकम 1,010.50 करोड़ रुपये है।

बीजद के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ” हालांकि चुनाव में हार की कोई आधिकारिक समीक्षा नहीं की गई है लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि नवीन पटनायक की लोकप्रियता के बावजूद पार्टी क्यों हार गई। जिस समूह ने पिछले कुछ वर्षों से पार्टी पर नियंत्रण कर रखा था, उसे ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए थी और पद छोड़ देना चाहिए था, जो नहीं हुआ।”

बीजेडी में आंतरिक उथल-पुथल

जबकि पांडियन ने नतीजों के तुरंत बाद सक्रिय राजनीति से हटने की घोषणा की बीजेडी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि राज्य इकाइयों को खत्म करने से यह संदेश जाता है कि पार्टी में कथित शक्तिशाली माने जाने वाले ग्रुप को भी हटा दिया गया है।

बीजद नेता ने कहा, “पार्टी में एक मंडली के उभरने से खासकर 2019 के चुनावों के बाद बीजद के भीतर वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया। मंडली के कई वफादारों ने संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर लिया। सभी फैसले मंडली के अनुरूप लिए गए।” पारादीप के पूर्व विधायक संबित राउत्रे उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने बीजेडी की हार के लिए “मंडली” को जिम्मेदार ठहराया है।

बीजेडी में नए राजनीतिक सचिव

राजनीतिक सचिव के रूप में उनकी नई भूमिका के बारे में पूछे जाने पर संतरूप मिश्रा ने कहा, “मकसद और उद्देश्य आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएंगे। चूंकि बीजद विपक्ष में है इसलिए वह कौन से नए कार्यक्रम अपना सकती है और पार्टी अध्यक्ष के आदेशों को कैसे लागू किया जाए यह मेरा प्रमुख काम होगा।”

एक तरफ जहां बीजेडी के वरिष्ठ नेता मिश्रा के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं, पूर्व सीएम द्वारा इस पद के लिए किसी राजनीतिक व्यक्ति को नहीं चुनने के बारे में सुगबुगाहट है। बीजद के एक सूत्र ने कहा, “निगम चलाना और एक राजनीतिक दल चलाना दो अलग-अलग चीजें हैं। प्रेसिडेंट का राजनीतिक सचिव किसी भी पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण पद होता है और इस समय यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजद विपक्ष में है। संतरूप मिश्रा की नियुक्ति से संकेत मिलता है कि पार्टी में पांडियन का प्रभाव अभी भी है।”

नवीन पटनायक पूरी तरह एक्टिव

वहीं, वरिष्ठ बीजेडी नेता और राज्यसभा सांसद देबाशीष सामंतराय ने कहा कि पटनायक जानते थे कि वह क्या कर रहे हैं। सामंतरे ने सोमवार को कटक में संवाददाताओं से कहा, “नवीन बाबू निश्चित रूप से आंतरिक चर्चा के माध्यम से पार्टी की हार के कारणों को जानते हैं। बीजेडी को कैसे मजबूत किया जाएगा और पांच साल बाद वापसी कैसे की जाएगी, इसका फैसला उन पर छोड़ दिया गया है।”

बीजेडी के वरिष्ठ नेता प्रताप जेना ने कहा, “बीजद नवीन बाबू के नेतृत्व में एक नया आकार ले रहा है और उन्होंने इसके लिए रथ यात्रा जैसा अवसर चुना है। पार्टी और उसके संगठन को सक्रिय करने के लिए जल्द ही नई समितियों की घोषणा की जाएगी। पार्टी ने ओडिशा और उसके लोगों के हित के लिए जो लड़ाई शुरू की है वह जारी रहेगी।”

ओडिशा लोकसभा चुनाव में बीजेपी और बीजेडी का वोट शेयर

ओडिशा चुनाव परिणाम

लोकसभा चुनाव के साथ हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 78 सीटें जीतीं, वहीं 147 सीटों वाली विधानसभा में बीजद 51 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने राज्य की 21 सीटों में से 20 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने शेष सीटें जीतीं और बीजद को एक भी सीट नहीं मिली।

ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेडी का वोट शेयर

source- TCPD_IED

ओडिशा विधानसभा चुनाव 2019 परिणाम

पिछले चुनाव की बात की जाये तो बीजेडी ने 113 और भाजपा ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस के खाते में 9 सीटें आई थीं।