हिंदी सिनेमा जगत में कई सितारों ने जन्म लिया और दशकों तक इंडस्ट्री में राज किया। इसमें राज कपूर, पृथ्वीराज कपूर, राज कुमार, सुनील दत्त जैसे कई सितारों के नाम शामिल हैं। इसी में से नाम था गुरु दत्त साहब का। उन्होंने अपने जमाने में स्क्रीन पर राज किया। गुरु दत्त साहब ने ना केवल स्क्रीन पर राज किया बल्कि लोगों के दिलों पर भी खूब राज किया है। आज वो भले ही नहीं हैं लेकिन, उनकी फिल्मों के सहारे लोगों ने यादें भी दिल में समेट रखी है। उनका इस दुनिया से चले जाना ना केवल इंडस्ट्री बल्कि दुनियाभर के लिए एक बड़ा सदमा था। गुरु दत्त ने अपनी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। ऐसे में चलिए बताते हैं उनकी आखिरी रात के बारे में…

दरअसल, आज गुरु दत्त की बर्थ एनीवर्सरी है। उनका जन्म 9 जुलाई 1925 को कर्नाटक के पदुकोने में हुआ था। उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में दी थीं। उनका करियर छोटा ही रहा मगर कमाल का रहा। इस दौरान एक्टर ने ‘जाल’, ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’ ‘बाज’, ‘कागज के फूल’, और ‘प्यासा’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। गुरु दत्त की प्रोफेशनल लाइफ तो सफल रही थी मगर, उनकी निजी जिंदगी जरा ठीक नहीं रही। अंतिम घड़ी में वो अकेले ही रहे। जबकि उनकी बीवी गीता दत्त और एक बेटी थीं। लेकिन, अंतिम समय ��ें उनके साथ नहीं थीं। इसकी वजह एक्ट्रेस वहीदा रहमान को माना जाता है। शादीशुदा होकर एक्टर उनके प्यार में पड़ गए थे। इसकी भनक जब गीता को लगी तो उन्होंने अपने रास्ते अलग कर लिए थे।

गुरु दत्त की आखिरी रात

गुरु दत्त ने 10 अक्टूबर, 1964 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। जब उनका निधन हुआ तो वो महज 39 साल के थे। बहुत छोटी उम्र में एक्टर मौत के मुंह में समा गए थे। निधन से पहले उनकी आखिरी रात का जिक्र उनके दोस्त और उनकी कई फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी ने अपनी बुक ‘टेन ईयर्स विद गुरु दत्त’ में किया है। उन्होंने बताया कि एक्टर ने सुसाइड किया था। अबरार ने अपनी किताब में बताया था कि वो आखिरी रात को नशे में डूबे हुए थे। निजी जिंदगी ठीक ना चलने की वजह से डिप्रेशन में थे। पत्नी अलग रह रही थीं। उनकी एक बेटी भी उनसे दूर थी। गीता दत्त बेटी से मिलने तक नहीं देती थीं। एक बार दोनों ने फोन पर झगड़ा किया था और इस दौरान गुरु दत्त साहब ने कहा था कि ‘अगर बेटी का मुंह नहीं देखा तो तुम मेरा पार्थिव शरीर देखोगी।’ अंत में वही हुआ।

नशे में गुजरी आखिरी रात

अबरार बताते हैं कि मौत से ठीक पहले रात में उन्होंने खूब शराब पी थी। उन्होंने बताया था कि गुरु दत्त कितना भी नशा कर लें कंट्रोल नहीं खोते थे। उन्होंने उस रात कई पेग पीने के बाद एक और पेग पीने की ख्वाहिश जताई और खाना नहीं खाया। रात के एक बजे सब बात हो गई। वो सोने चले गए। अबरार ने अपने लेखन और सीन को लेकर बात करना चाहा लेकिन वो सोने चले गए। ऐसा पहली बार हुआ था जब वो बिना कुछ सुने और बोले सो गए। क्योंकि गुरु दत्त हमेशा लेखन खत्म होने के बाद उसके बारे में पूछते थे। लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, अबरार किताब में लिखते हैं कि गुरु दत्त रात में 3 बजे फिर उठते हैं। अपने असिस्टेंट रतन से अबरार के बारे में पूछा लेकिन वो तब तक जा चुके थे।

कुछ घंटों पर भी नहीं छोड़ी शराब

ऐसे में जब रतन ने अबरार को बुलाने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया और आखिरी के कुछ घंटे पहले भी शराब नहीं छोड़ी। उन्होंने रात में व्हिस्की मांगी। रतन ने मना किया लेकिन वो कहां मानने वाले थे। उन्होंने जैसे तैसे ले ही ली। इसके बाद वो फिर से अपने कमरे में चले गए फिर जब सुबह हुई तो उनका शव कमरे में मिला। उनके शव को दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया था। वहीं, जब अबरार उनके कमरे में गए तो उनकी नजर एक शीशी पर पड़ी, जिसे देखने के बाद उन्होंने कहा था कि ये नेचुरल डेथ नहीं है बल्कि आत्महत्या है। मशहूर लेखक कैफी आजमी ने अपनी कविता में एक लाइन भी लिखी थी कि, ‘साकी से गिला था तुम्हें, मैखाने से शिकवा अब जहर से भी प्यास बुझाता नहीं कोई।’