![bhupinder singh hooda nayab singh saini nirmala sitharaman](https://cdn.statically.io/img/www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/07/nirmala-sitharaman-1-3.jpg?w=850)
अमोनियम नाइट्रेट पर कस्टम ड्यूटी 10 % बढ़ी
नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पर कस्टम ड्यूटी 25 % बढ़ी
चुनिंदा टेलिकॉम उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी 15 % बढ़ी
12 महीने से ज्यादा शेयर्स रखने पर टैक्स 12.5 % हुआ
1 साल से कम के इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर टैक्स 20 % हुआ
मोबाइल फोन्स
चार्जर पर ड्यूटी 15 फीसदी घटी
लेदर के सामानों पर जीएसटी में छूट
प्लेटिनम- कस्टम ड्यूटी 6.4 प्रतिशत हुई कम
गोल्ड और सिल्वर- कस्टम ड्यूटी 6 % कम
कैंसर की तीन दवाएं टैक्स फ्री
बजट एक वित्तीय वर्ष में किसी सरकार द्वारा उसकी इनकम और खर्चे का प्लान है। आसान भाषा में कहें तो एक वित्तीय वर्ष में सरकार कितना कमाएगी और कितना खर्च करेगी, इसी प्लानिंग को ही बजट कहते हैं। बजट में खर्चों की एक व्यापक सूची होती है। संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के GDP की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 से 7% के बीच रहेगी। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित 8.2 % की आर्थिक वृद्धि दर से कम है।
अंतरिम और अंतिम बजट में क्या अंतर है?
सरकार अंतरिम बजट तब पेश करती है जब उसके पास अंतिम बजट की तैयारी के लिए जरूरी समय नहीं होता है। ऐसा अक्सर तभी होता है, जब आम चुनाव निकट होते हैं और वर्तमान सरकार पूर्ण बजट तैयार करने का काम चुनाव के नतीजों के बाद छोड़ती है। चूंकि केंद्रीय बजट वित्तीय वर्ष के अंत यानी 31 मार्च तक वैध होता है, इसलिए सरकार का खर्च करने का अधिकार केवल उसी तारीख तक होता है। इसलिए जब केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले अंतिम बजट पेश नहीं कर पाती है, तो उसे नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के दिन से लेकर नया बजट पारित होने तक खर्च करने के लिए संसदीय मंजूरी की आवश्यकता होती है। तकनीकी रूप से यह पूर्ण बजट की तरह ही है और जैसा कि नाम से पता चलता है, केवल अस्थायी अवधि के लिए है।