सैलरी पाने वाले लोगों को हर महीने निश्चित आय का लाभ मिलता है, जिससे वे अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सेविंग कर पाते हैं। जो लोग फाइनेंशियल तौर पर जागरूक हैं वे फंड बनाने के लिए बेहतर निवेश विकल्प में पैसे लगाते हैं। हालांकि कौन से निवेश विकल्प में ज्यादा से ज्यादा फायदा होगा इसे लेकर उनमें संशय बना रहता है। वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तमाम निवेश विकल्प मौजूद हैं. इन विकल्पों में निवेश कर नौकरी पेशेवर लोग टैक्स बचा सकते हैं. इसके अलावा इन विकल्पों में अच्छे रिटर्न के साथ पैसा भी सुरक्षित रहता है. अगर आप नौकरी कर रहे हैं और अपनी सेविंग पर अधिक लाभ चाहते हैं तो इन 5 बेहतर निवेश विकल्प पर विचार कर सकते हैं.

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)

फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी बेहतर वित्तीय भविष्य की चाह रखने वाले नौकरी पेशवर लोगों के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प है। इसमें निवेश कर अपनी सेविंग पर अच्छी कमाई की जा सकती है। एफडी एक सुरक्षित निवेश विकल्प है। इसमें निवेश कर अच्छी कमाई की जा सकती है। एफडी में एक बार अपनी सेविंग लगा देने के बाद तय दर के हिसाब से पूरे टेन्योर तक ब्याज का लाभ मिलता रहता है। यह बाजार के किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता है। बैंकों में जमा एफडी पर सरकारी संस्था डीआईसीजीसी (DICGC) द्वारा इंश्योरेंस कवर मिलता है। यह इंश्योरेंस बैंक डिफॉल्ट होने की स्थिति में हर एक निवेशक को 5 लाख तक की एफडी, रिकरिंग डिपॉजिट यानी आरडी, सेविंग और करेंट एकाउंट डिपॉजिट को कवर करता है।

फिलहाल कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में एफडी पर 9.5% तक ब्याज मिल रहा हैं। जो लोग एफडी में निवेश करके बेहतर रिटर्न के साथ टैक्स बेनिफिट भी चाहते हैं उन्हें 5 साल की एफडी करनी होगी। 5 साल की एफडी पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इसमें ब्याज आय पर टैक्स ब्रैकेट के आधार पर टैक्स देना पड़ता है। अगर आप अपने कम अवधि वाले लक्ष्यों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना चाहते हैं, तो आपके लिए एफडी एक बेहतर और सुरक्षित निवेश विकल्प साबित हो सकता है।

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पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)

पीपीएफ सबसे सुरक्षित निश्चित आय निवेश विकल्पों में से एक है। ये स्कीम सरकार द्वारा चलाई जाती है। पोस्ट ऑफिस की इस पॉपुलर स्मॉल सेविंग्स स्कीम पीपीएफ रिटायरमेंट स्कीम के रूप में भी जाना जाता है। इस स्कीम की मैच्योरिटी 15 साल है। वित्तीय भविष्य सुरक्षित करने के लिए ज्यादातर नौकरीपेशा वाले लोग रिटायरमेंट के करीब पहुंचने पर पीपीएफ चुनते हैं. निवेशक इस स्कीम का इस्तेमाल फंड बनाने के अलावा पेंशन के लिए भी लोग करते हैं। पीपीएफ में पैसे लगाने वाले लोगों को आयकर कानून की धारा 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इसमें निवेश की गई रकम पर मिले ब्याज और मैच्योरिटी रकम पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है, इन्ही सब वजहों से बैंक एफडी और बाकी समान सेविंग स्कीम की तुलना में पीपीएफ स्कीम ज्यादा फायदेमंद साबित होता है।

पीपीएफ की एक प्रमुख कमी लिक्विडिटी है। वजह इसका लॉक-इन पीरियड का 15 साल होना है। हालांकि, कुछ नियमों के तहत लॉक-इन पीरियड के दौरान निवेश की गई रकम का कुछ हिस्सा निकालने, मैच्योरिटी से पहले पीपीएफ अकाउंट बंद करने और इस पर लोन की अनुमति होती है। पीपीएफ में ब्याज सालाना तौर पर मिलता है और इसकी ब्याज दरें हर तिमाही में बदल भी सकती हैं। हालांकि ये दरें वित्त मंत्रालय द्वारा तय की जाती हैं। फिलहाल पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से सरकार ब्याज दे रही है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड (EMF)

लंबी अवधि वाले लक्ष्यों के लिए फंड बनाने का प्लान कर रहे निवेशकों के लिए बाकी निश्चित आय इंस्ट्रूमेंट की तुलना में इक्विटी म्यूचुअल फंड एक और बेहतर विकल्प है। ये विकल्प उन नौकरी पेशेवर लोगों के लिए बेहतर हैं जिनके पास सीधे इक्विटी में निवेश करने के लिए विशेषज्ञता या समय की कमी है। निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश के लिए सिर्फ 5,000 रुपये और बाद के निवेश के लिए 1,000 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। एसआईपी के लिए न्यूनतम निवेश रकम आमतौर पर 1,000 रुपये से शुरू होती है, जबकि ईएलएसएस के लिए, एसआईपी के माध्यम से यह 500 रुपये प्रति महीने है। 5 वर्ष से अधिक की मैच्योरिटी वाले वित्तीय लक्ष्यों के लिए, निश्चित आय निवेश पर इक्विटी म्यूचुअल फंड को प्राथमिकता देने की सलाह दी जाती है।

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वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF)

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड यान��� वीपीएफ अनिवार्य रूप से ईपीएफ योजना का एक विस्तार है, जो ईपीएफ ग्राहकों को उनके अनिवार्य ईपीएफ योगदान से अधिक, उनके बैसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 100% तक स्वैच्छिक निवेश करने में सक्षम बनाता है। ईपीएफ की तरह, वीपीएफ में निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत कर कटौती के लिए पात्र है। वीपीएफ के लिए ब्याज दर भी ईपीएफ के समान है। वीपीएफ ईपीएफ का विस्तार है। ऐसे में वीपीएफ पर आंशिक निकासी, टैक्स नियम, नामांकन और अन्य पहलुओं से जुड़े सभी ईपीएफ नियम लागू होते हैं।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)

नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस सरकार एक टैक्स सेविंग स्कीम है, जो रिटायरमेंट प्लान बनाने का लक्ष्य रखने वाले निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प है। इस निवेश विकल्प में अधिकतम 2 लाख रुपये तक टैक्स बेनिफिट मिलता है। एनपीएस में बाकी विकल्पों की तुलना में टैक्स बेनिफिट अधिक मिलते हैं। इसमें न सिर्फ एक वित्त वर्ष के दौरान 1।5 लाख रुपये तक निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है, बल्कि सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 1।5 लाख रुपये से ऊपर सालाना 50,000 रुपये तक के निवेश पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है। यानी NPS में निवेश पर एक साल में कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है, जो किसी भी और निवेश में उपलब्ध नहीं है। ये स्कीम 18 से 70 साल की उम्र के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है।